April 25, 2024

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‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने आजादी की लड़ाई में भगवान बिरसा मुंडा के विशिष्ट योगदान को किया याद

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 रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ (‘Mann Ki Baat’)कार्यक्रम में आजादी की लड़ाई में भगवान बिरसा मुंडा के विशिष्ट योगदान को याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय सभी अमृत महोत्सव में देश के वीर बेटे-बेटियों को उन महान पुण्य आत्माओं को याद कर रहे हैं।  अगले महीने, 15  नवम्बर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है ।  भगवान बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ भी कहा जाता है । उन्होंने पूछा कि क्या आप जानते हैं कि इसका अर्थ क्या होता है ? इसका अर्थ है धरती पिता। भगवान बिरसा मुंडा ने जिस तरह अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिय संघर्ष किया, वो धरती आबा ही कर सकते थे।  उन्होंने सभी को अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया। विदेशी हुकूमत ने उन्हें कितनी धमकियाँ दीं, कितना दबाव बनाया, लेकिन उन्होनें आदिवासी संस्कृति को नहीं छोड़ा। प्रकृति और पर्यावरण से अगर प्रेम करना सीखना है, तो उसके लिए भी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा हैं । उन्होंने विदेशी शासन की हर उस नीति का पुरजोर विरोध किया, जो पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाली थी । गरीब और मुसीबत से घिरे लोगों की मदद करने में भगवान बिरसा मुंडा हमेशा आगे रहे । उन्होंने सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए समाज को जागरूक भी किया ।उलगुलान आंदोलन में उनके नेतृत्व को भला कौन भूल सकता है! इस आंदोलन ने अंग्रेजो को झकझोर कर रख दिया था । जिसके बाद अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा पर बहुत बड़ा इनाम रखा था । ठतपजपे हुकूमत ने उन्हें जेल में डाला, उन्हें इस कदर प्रताड़ित किया गया कि 25 साल से भी कम उम्र में वो हमें छोड़ गए , वो हमें छोड़कर गए, लेकिन केवल शरीर से ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनमानस में तो भगवान बिरसा मुंडा हमेशा-हमेशा के लिए रचे-बसे हुए हैं। लोगों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा शक्ति बना हुआ है। आज भी उनके साहस और वीरता से भरे लोकगीत और कहानियां भारत के मध्य इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘‘ मैं ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को नमन करता हूं और युवाओं से आग्रह करता हूं कि उनके बारे में और पढ़ें ।भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समूह के विशिष्ट योगदान के बारे में आप जितना जानेंगे, उतनी ही गौरव की अनुभूति  होगी।’’
गौरतलब है कि भगवान बिरसा मुंडा  का जन्म मुंडा जनजाति के एक गरीब परिवार में 15 नवम्बर 1875 को खूंटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपने सहयोगियों को साथ लेकर संघर्ष किया और उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी तथा इलाके के लोग उन्हें  “धरती बाबा“ के नाम से पुकारने लगे भगवान बिरसा मुंडा  के उलगुलान ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था अंग्रेजों ने विरोध को कुचलने के लिए हर तरह का तरीका अपनाया लेकिन  भगवान बिरसा मुंडा नहीं झुके बाद में वे गिरफ्तार कर लिए गए और 9 जून 1900 ई को शहादत पायी भगवान बिरसा मुण्डा की समाधि रांची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास आज भी स्थित है और रांची में उनका स्टेच्यू भी लगा हुआ है । भगवान बिरसा मुंडा के आंदोलन के फलस्वरूप आखिर अंग्रेजों ने उनके मरणोंपरांत भूमि कानून में बदलाव किया जो उनकी जीत का परिचायक रहा।

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